SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) ने जेन स्ट्रीट मामले पर अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा है कि नए नियमों की जरूरत नहीं है – लेकिन जरूरी हैं |मौजूदा नियमों को बेहतर तरीके से लागू करना। यह प्रतिक्रिया ऐसे समय आई है जब Jane Street की चार कंपनियों को भारतीय शेयर बाज़ार में संदिग्ध ट्रेडिंग पैटर्न के चलते अंतरिम रूप से बैन कर दिया गया है।

क्या है मामला?
Jane Street की इकाइयों पर आरोप है कि उन्होंने बैंक निफ्टी और निफ्टी 50 इंडेक्स पर expiry के दिन जानबूझकर बड़ी मात्रा में स्टॉक्स खरीदे-बेचे, जिससे इंडेक्स में हलचल हुई। इस हलचल का लाभ उन्होंने ऑप्शन्स मार्केट में उठाया और करोड़ों का फायदा कमाया। SEBI का कहना है कि ये गतिविधियाँ एक पैटर्न में दो साल तक चलीं — एक तरह से मार्केट manipulation।
SEBI का कदम क्या रहा?
SEBI ने इन कंपनियों से करीब ₹4,800 करोड़ की अवैध कमाई को एस्क्रो अकाउंट में जमा करने को कहा है। साथ ही इन्हें किसी भी तरह की ट्रेडिंग से रोक दिया गया है — जब तक जांच पूरी नहीं होती।
Jane Street SEBI की सोच: नियम तो हैं, अब पालन ज़रूरी है
नियामक के सूत्रों के मुताबिक, “हमारे पास पर्याप्त कानून और नियम पहले से मौजूद हैं। असली ज़रूरत इनका सख्ती से पालन करवाने की है।” इसलिए SEBI अब enforcement पर ज़ोर दे रहा है — surveillance thresholds को बढ़ाया गया है, algorithmic trading पर ज्यादा scrutiny की जा रही है, और एक्सचेंजेस को अतिरिक्त सतर्कता बरतने को कहा गया है।
Jane Street की प्रतिक्रिया
जेन स्ट्रीट ने अपने खिलाफ लगे आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि उसने भारतीय कानूनों का पालन किया है। कंपनी ने सेबी के साथ सहयोग करने का वादा किया है और कानूनी प्रक्रिया में भाग लेने का आश्वासन दिया है।
बाज़ार में असर
इस कार्रवाई के बाद विशेषज्ञों में चर्चा है कि क्या ऐसी global firms के बाहर निकलने से भारतीय derivative बाज़ार की liquidity पर असर पड़ेगा। हालांकि, SEBI साफ कर चुका है कि किसी को भी नियमों से ऊपर नहीं रखा जाएगा — चाहे वो local हो या global player।
निष्कर्ष:
SEBI का मुख्य संदेश स्पष्ट है: “नए क़ानून नहीं, मज़बूत अमल चाहिए।” इस मामले ने regulators को enforcement की दिशा में और सतर्क बना दिया है। Indian market की integrity बनाए रखने के लिए यही रास्ता सबसे असरदार है।
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